आपने बाज़ के बारे में सुना होगा।
सबसे बड़ी बात ये है कि जब ये 40 साल का होता है तब इसकी चोंच मुलायम हो जाती है ,आगे से मुड़नेलगती है।
और जो पंख है भारी हो जाते है, शरीर से चिपक जाते है और तो और जिससे ये शिकार करता है , झपटा मारता है ' नाखून ' टेड़े हो जाते है।
अब बताइये इससे बेकार जिंदगी किसी की हो सकती है कि ना उसके चोंच सही, ना उसके पंख सही है ,ना ही नाखून सही है। जिससे शिकार करके अपना पेट भर सके।
बाज के पास अब दो रास्ता है, या तो वो मर जाए क्यों कि उड़ नहीं सकता , शिकार भी सकता। अगर किसी तरह से पकड़ ले तो शिकार को मार नहीं सकता।
लेकिन,मेरे दोस्त बाज़ ये नहीं करता।
वो सबसे ऊंची वाली चोटी पर जा कर छह महीने लगातार पथ्थर पर अपनी चोंच मारता रहता है, दर्द तो होता है लेकिन वो दर्द सहता है, खून निकलने लगता है लेकिन फिर भी वो रुकता नहीं है चोंच मारे जाता है।
दर्द से मर रहा होता है लेकिन मारे रहता है , मारे रहता है और चोंच तोड़ देता है।
इसी तरह अपने पैर के साथ भी करता है। अपने नाखून को शिला पर रगड़ रगड़ कर तोड़ देता है।
फिर जब नई चोंच आती है , अपने चोंच से पंख उखाड़ देता है दर्द तो बहुत होता है लेकिन वो जानता है कि इन सब के बिना वो बेकार है, कुछ नहीं कर सकता।
और फिर छह महीने बाद मानो उसका पुनर्जन्म हो , फिर से एक नया जन्म पाया हो , एक नया बाज़ बन कर तैयार होता है। अब वो फिर से अपने बचे 30 साल राजा बनकर जीता है , शायद इसी कारण उसे पक्छियो का राजा कहा जाता है।
दोस्तों , आपके और आपके लक्ष्य के बीच जो भी आये उसे तुरंत हटा दीजिये भले ही आपको थोड़ी तकलीफ ही क्यों ना हो।
उम्मीद करता हूँ आप मेरी बातो को समझ गए होंगे। comment box में जरूर बताये कि आपको ये ब्लॉग कैसा लगा जिससे कि मै इसी तरह के और ब्लॉग लिखता रहूँ ।
धन्यवाद ........
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