उठना पड़ेगा चलना पड़ेगा ,
गिरना पड़ेगा ,संभालना भी पड़ेगा
कर शुल के संकट समर से
लड़कर तुझको बढ़ना भी पड़ेगा।
उठना पड़ेगा चलना पड़ेगा ,
गिरना पड़ेगा ,संभालना भी पड़ेगा
उन अमर शक्ति की स्वर्णछरो को
पढ़ प्रेरित हो कर चलना पड़ेगा
असंभव को संभव करने के लिए
गिरकर तुझे संभालना पड़ेगा।
उठना पड़ेगा चलना पड़ेगा ,
गिरना पड़ेगा ,संभालना भी पड़ेगा।
बहरा बन जा देख मत तू इस संसार को
छोड़ कर सबकुछ भूल जा तू समाज को
हारने पर हास की जीतने पर परिहास की
छोटा बन कर सुला देगी तेरे मान को
आत्मा को पुनर्जीवित कर तुझको जागना पड़ेगा।
उठना पड़ेगा चलना पड़ेगा ,
गिरना पड़ेगा ,संभालना भी पड़ेगा।
पत्नी, बंधु ,भ्रात , माता और बंधी की मोह माया ,
ये छोड़कर लक्ष्य साध ये तो हर संसारी के काया।
जान जमीर और जमीन छोड़कर तू हटके दिखा अपने साया,
पहचानकर तू देख खुदको साहस ले कर अलग है काया।
देख मत तू भूल जा अपनी भी है यहाँ पर माया ,
बस नाम करके एक बार मर जा, देखा तेरी जनाजे के काया।
~ Swapnil diwedi